Saturday, June 4, 2022

बारिस का कहर

आज फिर हवाओं ने
आसमान में साजिस की ,
बादलों ने जमकर उत्पात मचाया ,
कहर ढाती बारिस में ,
आज, फिर ,
एक पेड़ धराशायी हो गया ,
यानि कि
मौत की नींद सो गया ,
परिंदों का आशियाना उजड़ गया ।
टूटे ,झुके, डालों पर ,
बैठी है चिड़िया ,गुमसुम , उदास ।
नये ठिकाने की तलाश
फिर से करनी होगी ,
फिर ,
एक नया आशियाना बनाना होगा।
पागल हवाओं को कैसे बतायें , कि
एक घरौंदा बनाने में ,
कितनी परेशानियाँ आती हैं , उफ़ .... 
तमाम उम्र खप जाती है
तिनका - तिनका जोड़ने में। 

---विजय कुमार सिन्हा " तरुण "

प्रकाशित - नवम्बर -2022 ( हलन्त )

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