विजय कुमार सिन्हा "तरुण" की काव्य रचनाएँ.
आया है रस -रंग ले , होली का त्यौहार ,
विविध रंगों का मेल है ,फागुन का उपहार ,
प्रीत और अनुराग का , बरसै आज फुहार ,
रंग प्यार का घोल कर , करें आज बौछार ,
ऐसो रंग को डारियो , खुशियां मिले हजार।
विजय कुमार सिन्हा " तरुण "
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