लो वसंत आ गया पथिक रे !
फूलों पर आई मादकता ,
पर्ण छाँव में बैठ पपीहा ,
पिहूपिहू की टेर लगाता।
सरसों फूले ,तीसी फूले ,
बाँज-बुरांस जंगल दहकाता ,
लहर-लहर नदियाँ जब बहती ,
कूल -कूल यौवन लहराता।
शुक ,पिक ,खग , खंजन औ बुलबुल,
मिल कर सारे शोर मचाते ,
फूल - फूल भौंरा मंडराये ,
जब -जब, यह वसंत है आता।
लो वसंत आ गया पथिक रे ......
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