खिलेंगे फूल खुशियों के , मगर तब हम नहीं होंगे ,
ज़माना मुस्कुराएगा , मगर तब हम नहीं होंगे ,
मिले जन्नत , रहो आबाद , दुआ है तुमको ये मेरी ,
भले आँखों में है आँसू , जुवां पर है दुआ मेरी।
रहो जिस ठौर भी तुम सब , रहे सूरज की किरणें भी,
उजाले ही उजाले हों सदा , चाहत हमारी है ,
नहीं गम हो कभी कोई , भरा खुशियों से दामन हो ,
तुम्हारे हिस्से के काँटे , ख़ुदा से माँग मैं लूँगा।
ज़माना मुस्कुराएगा , मगर तब हम नहीं होंगे ,
मिले जन्नत , रहो आबाद , दुआ है तुमको ये मेरी ,
भले आँखों में है आँसू , जुवां पर है दुआ मेरी।
रहो जिस ठौर भी तुम सब , रहे सूरज की किरणें भी,
उजाले ही उजाले हों सदा , चाहत हमारी है ,
नहीं गम हो कभी कोई , भरा खुशियों से दामन हो ,
तुम्हारे हिस्से के काँटे , ख़ुदा से माँग मैं लूँगा।
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