Friday, August 4, 2017

कोयल बोल रहा है

बादल ने तंबू गाड़े ,
आये  बरखा के दिन  ,
बारिस की बूंदों ने गया ,
रिम -झिम ता -ता धिन। 
पपीहा बोल रहा है ,
 पपीहा  बोल रहा है।

भींगी हवा हुई मस्तानी ,
मन है डाँबा - डोल ,
गोरी के नैना हैं देखो ,
खोल रहे हैं पोल।
 पपीहा बोल रहा है ,
 पपीहा बोल रहा है।

छमक - छमक कर बुलबुल चलती ,
घायल मातादीन ,
मौसम का आनन्द ले रहे ,
चाचा नसरुद्दीन ,
 पपीहा बोल रहा है
 पपीहा बोल रहा है।
( नोट : - रचना तिथि   25 . 07 . 2017  )








































































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