बादल ने तंबू गाड़े ,
आये बरखा के दिन ,
बारिस की बूंदों ने गया ,
रिम -झिम ता -ता धिन।
आये बरखा के दिन ,
बारिस की बूंदों ने गया ,
रिम -झिम ता -ता धिन।
पपीहा बोल रहा है ,
पपीहा बोल रहा है।
भींगी हवा हुई मस्तानी ,
मन है डाँबा - डोल ,
गोरी के नैना हैं देखो ,
खोल रहे हैं पोल।
पपीहा बोल रहा है ,
पपीहा बोल रहा है।
छमक - छमक कर बुलबुल चलती ,
घायल मातादीन ,
मौसम का आनन्द ले रहे ,
चाचा नसरुद्दीन ,
पपीहा बोल रहा है
पपीहा बोल रहा है।
( नोट : - रचना तिथि 25 . 07 . 2017 )
पपीहा बोल रहा है।
भींगी हवा हुई मस्तानी ,
मन है डाँबा - डोल ,
गोरी के नैना हैं देखो ,
खोल रहे हैं पोल।
पपीहा बोल रहा है ,
पपीहा बोल रहा है।
छमक - छमक कर बुलबुल चलती ,
घायल मातादीन ,
मौसम का आनन्द ले रहे ,
चाचा नसरुद्दीन ,
पपीहा बोल रहा है
पपीहा बोल रहा है।
( नोट : - रचना तिथि 25 . 07 . 2017 )
No comments:
Post a Comment