मैं वक़्त हूँ ,
मैं देखरहा हूँ ,,
चारों ओर लूट -खसोट हो रहा है ,
जिसे देखो , वही लूट रहा है ,
वही लुटेरा है ,
अमीर , और , अमीर हो रहे हैं ,
गरीब , और , गरीब हो रहे हैं ,
विद्वत जनों का अपमान हो रहा है ,
खल पूजे जा रहे हैं ,
स्त्रियों की अस्मिता ,
लूटी जा रही है ,
मनुष्यता लुप्त हो रही है ,
क्रूरता अट्टहास कर रही है ,
पशुतापन बढ़ रहा है ,
दानवता पैर पसार रही है ,
हर गली - मोहल्ले , चौराहों पर ,
रोज ही ,
द्रौपदी , निर्वसन की जा रही है ,
लोग मौन हैं ,
युद्धिष्ठिर , अर्जुन ,भीम ,
नकुल और सहदेव ,
तमाशाईयों की भीड़ में खड़े है ,
दंभित प्रण कर ," भीष्म पितामह " ,
कौरवों की सेना से घिरे ,
बार -बार
अपने धनुष पर ,
प्रत्यंचा चढ़ा कर ,
अपनी आत्मतुष्टि के लिए ,
टंकार दे रहे हैं ,
एक और महाभारत की ,
जमीन तैयार हो रही है .........
------- ( प्रकाशित )
मैं देखरहा हूँ ,,
चारों ओर लूट -खसोट हो रहा है ,
जिसे देखो , वही लूट रहा है ,
वही लुटेरा है ,
अमीर , और , अमीर हो रहे हैं ,
गरीब , और , गरीब हो रहे हैं ,
विद्वत जनों का अपमान हो रहा है ,
खल पूजे जा रहे हैं ,
स्त्रियों की अस्मिता ,
लूटी जा रही है ,
मनुष्यता लुप्त हो रही है ,
क्रूरता अट्टहास कर रही है ,
पशुतापन बढ़ रहा है ,
दानवता पैर पसार रही है ,
हर गली - मोहल्ले , चौराहों पर ,
रोज ही ,
द्रौपदी , निर्वसन की जा रही है ,
लोग मौन हैं ,
युद्धिष्ठिर , अर्जुन ,भीम ,
नकुल और सहदेव ,
तमाशाईयों की भीड़ में खड़े है ,
दंभित प्रण कर ," भीष्म पितामह " ,
कौरवों की सेना से घिरे ,
बार -बार
अपने धनुष पर ,
प्रत्यंचा चढ़ा कर ,
अपनी आत्मतुष्टि के लिए ,
टंकार दे रहे हैं ,
एक और महाभारत की ,
जमीन तैयार हो रही है .........
------- ( प्रकाशित )
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