हे प्रभु !हमको दो ऐसा वरदान ,
हम कर सकें बुजुर्गों का सम्मान।
पकड़ ऊँगली चलना सिखलाया ,
गलत सही का , है भेद बताया ,
अपनी सारी शक्ति जिन्होंने ,
हम सब के हित में है लगाया ,
अपनी बुद्धि , कला , कौशल से ,
देश , समाज , परिवार सजाया।
गरीब , अमीर , शिक्षित , अशिक्षित ,
सब ने मिल कर यह देश बनाया।
ऐसे माननीय लोगों का ,
करें ना हम अपमान कभी ,
ना हो कष्ट इनको कोई भी ,
इनका रखें ध्यान सभी ,
सम्मान करेंगे यदि बड़ों का ,
पायेंगे हम आशीष सभी ,
नींव सहेज कर यदि रखेंगे ,
सुन्दर दिखेगा भवन तभी।
हम कर सकें बुजुर्गों का सम्मान।
पकड़ ऊँगली चलना सिखलाया ,
गलत सही का , है भेद बताया ,
अपनी सारी शक्ति जिन्होंने ,
हम सब के हित में है लगाया ,
अपनी बुद्धि , कला , कौशल से ,
देश , समाज , परिवार सजाया।
गरीब , अमीर , शिक्षित , अशिक्षित ,
सब ने मिल कर यह देश बनाया।
ऐसे माननीय लोगों का ,
करें ना हम अपमान कभी ,
ना हो कष्ट इनको कोई भी ,
इनका रखें ध्यान सभी ,
सम्मान करेंगे यदि बड़ों का ,
पायेंगे हम आशीष सभी ,
नींव सहेज कर यदि रखेंगे ,
सुन्दर दिखेगा भवन तभी।
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