चलो चलो हम पेड़ लगायें ,
हरा - भरा संसार बनायें ,
कुसुम खिले पर्वत पर्वत पर ,
नदियाँ सब जल से भर जायें।
जब वर्षा की ऋतु आ जाये ,
घन भी बरस - बरस कर जाये ,
खेत और खलिहानों में अब ,
पौध धान की हैं मुस्काये।
खुशहाली जग में छा जाये ,
तुम मुस्काओ , हम मुस्कायें ,
शुद्ध हवा में साँस ले सकें ,
पेड़ लगायें , पेड़ लगायें।
चलो चलो हम पेड़ लगायें,
हरा - भरा संसार बनायें।
हरा - भरा संसार बनायें ,
कुसुम खिले पर्वत पर्वत पर ,
नदियाँ सब जल से भर जायें।
जब वर्षा की ऋतु आ जाये ,
घन भी बरस - बरस कर जाये ,
खेत और खलिहानों में अब ,
पौध धान की हैं मुस्काये।
खुशहाली जग में छा जाये ,
तुम मुस्काओ , हम मुस्कायें ,
शुद्ध हवा में साँस ले सकें ,
पेड़ लगायें , पेड़ लगायें।
चलो चलो हम पेड़ लगायें,
हरा - भरा संसार बनायें।
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