Friday, January 15, 2016

मेरा गाँव

काश !
तुम आ जाते ,
देखते मेरा गाँव।
माना कि नहीं हैं सड़कें ,
है नहीं जल व्यवस्था ,
किन्तु ,
नहीं है प्यार का अभाव ,
हमारी आँखों में
बहुत पानी है।
गो कि ,
बिजली भी नहीं है ,
गाँव में होता है
स्याह अन्धेरा ,
पर , हमारे ह्रदय में है -
प्रकाश - पुंज
प्यार का।
ये टेढ़ी - मेढ़ी
पगडंडियाँ , हैं
सिरायें और धमनियाँ ,
खेतों में
उगती फसलें हैं
पूरे देश के दिल की धड़कन।
कैसे समझाऊँ मैं
तुम्हें ,
गाँव , नहीं होता है
केवल गाँव ,
वह है
हमारी जननी ,
तुम्हारी जननी ,
सब की जननी ,
करती है पोषण ,
सहती है
सब व्यथा ,
ताकि ,
तुम सजे रहो ,
सुन्दर रहो ,
भव्य रहो
और
सदैव खुश रहो   ..... ...

No comments:

Post a Comment