Monday, June 8, 2015

अभी बहुत है शेष

अरे ! रुको ,
मत बिको चंद डॉलर की खातिर ,
अभी देश की गरिमा पर
मत दॉँव लगाओ ,
अभी बहुत है शेष
तरुण की तरुणाई में ,
ढलने को है तिमिर निशा ,
आने में है नहीं देर ,
अब अरुणाई में  …....

अरे ! रुको ,
मत घुटने टेको किसी के आगे ,
अभी देश की महता पर
मत प्रश्न लगाओ ,
अभी बहुत है शेष
हमारी अँगड़ाई में ,
होने को है प्रात - पुञ्ज ,
कूक रही कोयलिया ,
है अमराई में  ……

             ------  ( प्रकाशित )

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