Sunday, April 5, 2015

नहीं हताश कभी भी होना

गम क्या करना उन सपनों का ,
छूट गये तो छूट गये ,
शोक आसमां नहीं मनाता ,
कितने तारे टूट गये।

हेमंत ,शिशिर, पतझड़  ,वसंत ,
चले गये  तो चले  गये ,
सावन में सरसिज खिल जाते ,
सरवर सब जीवंत भये।

पाना खोना ,फिर पा जाना ,
जीवन के सरगम हैं ये ,
मझधारों ने हार मान ली ,
जो सागर के पार गये।

नहीं हताश कभी भी होना ,
जीवन में जो छूट गये ,
नई डगर पर बढ़ जाना तुम ,
रच कर मन के गीत नये।


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