राही थक कर बैठ न जाना ,
बहुत दूर है तुमको जाना।
अस्ताचल को जाए सूरज ,
खोना नहीं कभी भी धीरज।
गहरे में जो भी है पैठा ,
उसके हाथ लगे हैं नीरज।
राही थक कर बैठ न जाना ,
बहुत दूर है तुमको जाना।
है अंधकार चतुर्दिक फैला ,
घोर सघन नीरवता फैला।
तेजोमय के सम्मुख यारा ,
नहीं कभी ठहरा अँधियारा।
पल भर का , है ये अंधेरा ,
आने को है जल्द सबेरा।
राही थक कर बैठ न जाना ,
बहुत दूर है तुमको जाना।
बहुत दूर है तुमको जाना।
अस्ताचल को जाए सूरज ,
खोना नहीं कभी भी धीरज।
गहरे में जो भी है पैठा ,
उसके हाथ लगे हैं नीरज।
राही थक कर बैठ न जाना ,
बहुत दूर है तुमको जाना।
है अंधकार चतुर्दिक फैला ,
घोर सघन नीरवता फैला।
तेजोमय के सम्मुख यारा ,
नहीं कभी ठहरा अँधियारा।
पल भर का , है ये अंधेरा ,
आने को है जल्द सबेरा।
राही थक कर बैठ न जाना ,
बहुत दूर है तुमको जाना।
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