रात-रात भर सो न सका मैं ,
जागा सारी रात ,
रही सताती मुझको तो बस ,
तेरी भोली बात।
इन हथेलियों में थामे था ,
तेरे कोमल गात ,
देख रहा था ,चाँद सामने ,
आँखें थी मदमात।
मौन शब्द था ,अधर बंद थे ,
नयनों की थी बात ,
भले होंठ ,ये खुले नहीं ,पर ,
मौन मिली सौगात।
नहीं स्वप्न था ,सब कुछ सच था ,
स्वासें करतीं बात ,
धीरे-धीरे भींग रही थी ,
चुपके-चुपके रात।
शुभ्र निशा के मधुर क्षणों में ,
हुई सरस बरसात ,
टूट गये तटबन्ध सहज ,जब ,
मिले गात से गात।
मन के अन्दर ,कोलाहल था ,
प्रश्नों की बरसात ,
पर , निश्छल सौंदर्य ,सो रहा ,
रख काँधों पर गात।
रात -रात भर ,सो न सका मैं ,
जागा सारी रात।
जागा सारी रात ,
रही सताती मुझको तो बस ,
तेरी भोली बात।
इन हथेलियों में थामे था ,
तेरे कोमल गात ,
देख रहा था ,चाँद सामने ,
आँखें थी मदमात।
मौन शब्द था ,अधर बंद थे ,
नयनों की थी बात ,
भले होंठ ,ये खुले नहीं ,पर ,
मौन मिली सौगात।
नहीं स्वप्न था ,सब कुछ सच था ,
स्वासें करतीं बात ,
धीरे-धीरे भींग रही थी ,
चुपके-चुपके रात।
शुभ्र निशा के मधुर क्षणों में ,
हुई सरस बरसात ,
टूट गये तटबन्ध सहज ,जब ,
मिले गात से गात।
मन के अन्दर ,कोलाहल था ,
प्रश्नों की बरसात ,
पर , निश्छल सौंदर्य ,सो रहा ,
रख काँधों पर गात।
रात -रात भर ,सो न सका मैं ,
जागा सारी रात।
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