खूब लड़ी थी लड़की वह तो
सचमुच झाँसी रानी थी ,
हमने सर्द हवाओं के मुख
उसकी सुनी कहानी थी ।
एक अकेली लड़ी आठ से
फिर भी सब पर भारी थी ,
थी साहस व शौर्य की देवी
भारत की वह नारी थी ।
गली - गली , हर सड़कों पर
चौक और चौराहों पर ,
दुर्योधन सम अधम खड़े
यहाँ मिलते हर राहों पर ।
युग - युग से ही सदा द्रौपदी
सड़क बीच विवस्त्र की जाती ,
ध्रितराष्ट्र सब बन जाते हैं
धर्मराज की हार ही होती ।
शाशन गूंगा हो जाता है
न्याय देर का बिक जाता है ,
जनता की परवाह किसे है
सत्ता सुख भोगा जाता है ।
इन भोगी सत्ताधारी के
मृत हो चुके आत्मा के ,
दिल में आग जलाना है
नैतिक पाठ पढ़ाना है ।
सचमुच झाँसी रानी थी ,
हमने सर्द हवाओं के मुख
उसकी सुनी कहानी थी ।
एक अकेली लड़ी आठ से
फिर भी सब पर भारी थी ,
थी साहस व शौर्य की देवी
भारत की वह नारी थी ।
गली - गली , हर सड़कों पर
चौक और चौराहों पर ,
दुर्योधन सम अधम खड़े
यहाँ मिलते हर राहों पर ।
युग - युग से ही सदा द्रौपदी
सड़क बीच विवस्त्र की जाती ,
ध्रितराष्ट्र सब बन जाते हैं
धर्मराज की हार ही होती ।
शाशन गूंगा हो जाता है
न्याय देर का बिक जाता है ,
जनता की परवाह किसे है
सत्ता सुख भोगा जाता है ।
इन भोगी सत्ताधारी के
मृत हो चुके आत्मा के ,
दिल में आग जलाना है
नैतिक पाठ पढ़ाना है ।
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