हवा कहाँ से पाओगे ।
बिना हवा के इस धरती पर ,
जीवित ना रह पाओगे ,
ना होंगे बादल औ बारिश ,
जल विहीन हो जाओगे ।
सावन - भादो की हरियाली ,
कभी नहीं तुम पाओगे ,
सतरंगी सी इन्द्रधनुषिया ,
बोलो कहाँ से लाओगे ।
आम , पपीते , लीची , कटहल ,
सभी फलों को तरसोगे ,
बिन पानी के प्यास हलक की ,
नहीं बुझा तुम पाओगे ।
दूर - दूर तक पेड़ न होंगे ,
छाया को तुम भटकोगे ,
बुल - बुल , कोयल , तोता - मैना ,
किस्से में ही पाओगे ।
जल जायेगी सारी धरती ,
मरुस्थल बन जायेगी ,
ना होंगे तब खेती - बाड़ी ,
अन्न कहाँ उपजाओगे ।
अन्न और पानी के बिन तुम ,
जीते जी मर जाओगे ,
मुझ को काट रहे हो जो तुम ,
आगे तुम पछताओगे ।
अगर चाहते सुख से जीना ,
मुझ पर मत आरी चलवाओ ,
मन में इक संकल्प जगाओ ,
हर दिन तुम इक पेड़ लगाओ ।
पेड़ तुम्हारे जीवन रक्षक ,
जल और जीवन के संरक्षक ,
जग में सन्देशा फैलाओ ,
पेड़ बचाओ , पेड़ बचाओ ।
बिना हवा के इस धरती पर ,
जीवित ना रह पाओगे ,
ना होंगे बादल औ बारिश ,
जल विहीन हो जाओगे ।
सावन - भादो की हरियाली ,
कभी नहीं तुम पाओगे ,
सतरंगी सी इन्द्रधनुषिया ,
बोलो कहाँ से लाओगे ।
आम , पपीते , लीची , कटहल ,
सभी फलों को तरसोगे ,
बिन पानी के प्यास हलक की ,
नहीं बुझा तुम पाओगे ।
दूर - दूर तक पेड़ न होंगे ,
छाया को तुम भटकोगे ,
बुल - बुल , कोयल , तोता - मैना ,
किस्से में ही पाओगे ।
जल जायेगी सारी धरती ,
मरुस्थल बन जायेगी ,
ना होंगे तब खेती - बाड़ी ,
अन्न कहाँ उपजाओगे ।
अन्न और पानी के बिन तुम ,
जीते जी मर जाओगे ,
मुझ को काट रहे हो जो तुम ,
आगे तुम पछताओगे ।
अगर चाहते सुख से जीना ,
मुझ पर मत आरी चलवाओ ,
मन में इक संकल्प जगाओ ,
हर दिन तुम इक पेड़ लगाओ ।
पेड़ तुम्हारे जीवन रक्षक ,
जल और जीवन के संरक्षक ,
जग में सन्देशा फैलाओ ,
पेड़ बचाओ , पेड़ बचाओ ।
Nice poem
ReplyDeleteDhanyvad
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