साँझ है ढ़लने लगी ,
तो क्या हुआ ,
रात अभी बाकी है ,
कहने को बहुत कुछ ,
बात अभी बाकी है ।
चाँद को आने दो ,
चाँदनी फैलाने दो ,
प्रियतम से मिलने की ,
आश अभी बाकी है ,
बात अभी बाकी है ।
भोर का रुपहला , वह ,
तारा भी आयेगा ,
तारे के आने का ,
इन्तजार अभी बाकी है ,
बात अभी बाकी है ।
तो क्या हुआ ,
रात अभी बाकी है ,
कहने को बहुत कुछ ,
बात अभी बाकी है ।
चाँद को आने दो ,
चाँदनी फैलाने दो ,
प्रियतम से मिलने की ,
आश अभी बाकी है ,
बात अभी बाकी है ।
भोर का रुपहला , वह ,
तारा भी आयेगा ,
तारे के आने का ,
इन्तजार अभी बाकी है ,
बात अभी बाकी है ।
No comments:
Post a Comment