दीपों का यह पर्व दीवाली ,
बड़े धूम से आती है ,
एक नया सन्देश मनोहर ,
हम सब को दे जाती है ।
राग - द्वेष को छोडो बच्चों ,
सीखो मिल कर रहना ,
एका में ही शक्ति निहित है ,
इसको कभी न तजना ।
एक और सन्देश है मेरा ,
जन - जन में फैलाओ ,
मन के अंधकार को मेटो ,
मन के दीप जलाओ ।
मैं जलता हूँ , जलने दो ,
तुम श्रम को लक्ष्य बनाओ ,
खूब परिश्रम और लगन से ,
अपनी किस्मत चमकाओ ।
अहंकार से लड़ना सीखो ,
अनाचार से लड़ना ,
सदा सर्वदा सत्य जहाँ हो ,
दृढ हो कर तुम अड़ना ।
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