नूतन नवल बरस अभिनन्दन ,
तुमसे नई - नई आशायें ,
निष्कंटक हो पंथ हमारा ,
जीवन पथ पर बढ़ते जायें ।
फूलों सा जीवन यह महके ,
जग को भी महकाते जायें ,
मन में हो सद्भाव सभी के ,
बैर भाव मन में ना आयें ।
अभ्युदय हो सकल विश्व का ,
मधुर सरस रस को बरसायें ,
प्यार के फूल खिले हर दिल ,
जग को अपना मीत बनायें ।
नित - नित नव सोपान चढ़ें हम ,
नित - नित , नव , नव संरचना हो ,
मानवता हो ध्येय हमारा ,
चहुँ विकास का लक्ष्य बनायें ।
चन्दन सम धरती की माटी ,
माथे इसका तिलक लगायें ,
इस नव वर्ष करें कुछ ऐसा ,
जीवन कुसुमित सा मह्कायें ।
तुमसे नई - नई आशायें ,
निष्कंटक हो पंथ हमारा ,
जीवन पथ पर बढ़ते जायें ।
फूलों सा जीवन यह महके ,
जग को भी महकाते जायें ,
मन में हो सद्भाव सभी के ,
बैर भाव मन में ना आयें ।
अभ्युदय हो सकल विश्व का ,
मधुर सरस रस को बरसायें ,
प्यार के फूल खिले हर दिल ,
जग को अपना मीत बनायें ।
नित - नित नव सोपान चढ़ें हम ,
नित - नित , नव , नव संरचना हो ,
मानवता हो ध्येय हमारा ,
चहुँ विकास का लक्ष्य बनायें ।
चन्दन सम धरती की माटी ,
माथे इसका तिलक लगायें ,
इस नव वर्ष करें कुछ ऐसा ,
जीवन कुसुमित सा मह्कायें ।
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