शीत अधरों पर शिखा रख ,
जलन का मत हाल पूछो ,
प्रीत में जलते शलभ से ,
ह्रदय का मत हाल पूछो।
नेह की बाती संजोये ,
दीप जलते हैं हजारों ,
हार कर बैठे तमस से ,
हार का मत हाल पूछो।
अविरल तमस को भेद कर ,
लघु दीप वह जलता रहा ,
मोम से उसके ह्रदय के ,
ताप का मत हाल पूछो।
प्रेम का विश्वास था यह ,
वा प्रीति का उल्लास था ,
इस गहनतम प्यार के ,
उल्लास का मत हाल पूछो।
जलन का मत हाल पूछो ,
प्रीत में जलते शलभ से ,
ह्रदय का मत हाल पूछो।
नेह की बाती संजोये ,
दीप जलते हैं हजारों ,
हार कर बैठे तमस से ,
हार का मत हाल पूछो।
अविरल तमस को भेद कर ,
लघु दीप वह जलता रहा ,
मोम से उसके ह्रदय के ,
ताप का मत हाल पूछो।
प्रेम का विश्वास था यह ,
वा प्रीति का उल्लास था ,
इस गहनतम प्यार के ,
उल्लास का मत हाल पूछो।
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