चिड़िया तुम अच्छा गाती हो ,
अपने मीठे मधुर स्वरों से ,
सब का मन हर्षा जाती हो,
चिड़िया तुम अच्छा गाती हो।
कितने सुन्दर पंख तुम्हारे ,
रंग - बिरंगे प्यारे - प्यारे ,
इन पंखों के बल पर ही तुम ,
देश - विदेश घूमा करती हो ,
चिड़िया तुम अच्छा गाती हो।
मनमोहक हैं चोंच चुटीले ,
छोटे - मोटे और नुकीले ,
कीट - पतंगा , फल खाती हो ,
नीड़ के लिये तिनका लाती हो,
चिड़िया तुम अच्छा गाती हो।
सूरज ढलते सो जाती हो ,
पौ फटते ही जग जाती हो ,
आँधी , तूफां और बारिस से ,
कभी नहीं तुम घबराती हो ,
चिड़िया तुम अच्छा गाती हो।
तिनका , तिनका जोड़ - जोड़ कर,
अपना नीड़ बना लेती हो ,
समय पर सोना ,समय पर जगना ,
हम सब को तुम सिखलाती हो ,
चिड़िया तुम अच्छा गाती हो।
---------- रचनाकार :- मंजु सिन्हा
( नोट : - प्रकाशित )
अपने मीठे मधुर स्वरों से ,
सब का मन हर्षा जाती हो,
चिड़िया तुम अच्छा गाती हो।
कितने सुन्दर पंख तुम्हारे ,
रंग - बिरंगे प्यारे - प्यारे ,
इन पंखों के बल पर ही तुम ,
देश - विदेश घूमा करती हो ,
चिड़िया तुम अच्छा गाती हो।
मनमोहक हैं चोंच चुटीले ,
छोटे - मोटे और नुकीले ,
कीट - पतंगा , फल खाती हो ,
नीड़ के लिये तिनका लाती हो,
चिड़िया तुम अच्छा गाती हो।
सूरज ढलते सो जाती हो ,
पौ फटते ही जग जाती हो ,
आँधी , तूफां और बारिस से ,
कभी नहीं तुम घबराती हो ,
चिड़िया तुम अच्छा गाती हो।
तिनका , तिनका जोड़ - जोड़ कर,
अपना नीड़ बना लेती हो ,
समय पर सोना ,समय पर जगना ,
हम सब को तुम सिखलाती हो ,
चिड़िया तुम अच्छा गाती हो।
---------- रचनाकार :- मंजु सिन्हा
( नोट : - प्रकाशित )
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