Tuesday, December 9, 2014

आज भी

कौन कहता है -
युग बदल गया है ?
नाम बदल जाने से
न युग बदलता , न युग का धर्म ,
इतिहास के पन्नों का सच
आज भी जीवित है।
साँप फुफकारना नहीं छोड़ता ,
नीच, नीचता नहीं छोड़ता ,
हिंस्र पशु ,हिंसा नहीं छोड़ता ,
साधु ,साधुता नहीं छोड़ता ,
वही आसमां ,वही  सूरज ,
वही चाँद ,वही सितारे ,
सब कुछ तो है
वैसे ही।

आज भी  ' यशोधरा ' सोती है
' सिद्धार्थ ' को बाहों में भींच कर ।
आज भी  ' सिद्धार्थ '
' यशोधरा ' की बाँहों  से फिसल जाता है ,
किन्तु,वह न तो  ' बुद्ध ' बन पाया है ,
न ही मनुष्य।
आज का आदमी ,
बस , भटकता हुआ घूम रहा है ,
इधर-उधर ,
शान्ति की तलाश में  …… ।

आज भी  ' कुंती ' जीवित है ,
जो अजन्मे बच्चे को
मार देती है 'कोख ' में,
या फिर ,
जन्म लेते ही ,
पोटली में लपेट कर ,
फेंक आती है
कूड़े के ढेर पर ,
या फिर
किसी कँटीली झाड़ी में ,
उसके अपने भाग्य पर  ....... ।
           
हर रोज ही ,
' महाभारत ' होता है ,
घर के अन्दर ,
घर के बाहर ,
विद्या के मंदिर में ,
खेल के मैदान में ,
कार्यालय में ,
राजनीति के गलियारों में ,
और अपने ' मन ' में भी।

आज भी ' द्रोणाचार्य '
छल से
काट ले रहे हैं
' एकलव्य ' का अँगूठा।
आज भी
' अभिमन्यु ' घेर लिया जाता है
' कौरवों ' की सेना द्वारा।
                
' दुर्योधन  ' आज भी जीवित है ,
मरा नहीं है ,
' रक्तबीज ' की तरह
वह सम्पूर्ण पृथ्वी पर
छा रहा है।
आज भी , ' द्रौपदी '
भरे बाजार ,
विवस्त्र की जाती है ,
आज भी नारियों की  'अस्मिता '
दाँव पर लगी है।
' भीष्म ' विवेकशून्य हो गए हैं ,
महाराज  ' धृतराष्ट्र 'की आँखों पर
आज भी पट्टी पड़ी है।
महारानी  ' गांधारी ' ,
पुत्र विमोह में आसक्त
' उचित '- ' अनुचित ' का भेद
करना नहीं चाहती  ....... ।

' राम '  आज भी
वन-वन भटक रहा है।
' रावण ' आज भी
अट्टहास कर रहा है ।
आज भी
' सीता ' छली जा रही है ,
आज भी
अनगिन अग्नि परीक्षाएं
उसका इम्तिहान ले रही हैं।
आज का  ' राम '  विवश है ,
' लक्ष्मण ' के तूणीर में
तीर नहीं है ,
धनुष शांत पड़े हैं।

कौन होगा
युग-परिवर्तक ?
कौन बदलेगा इतिहास ?
कौन मेटेगा
इतिहास के पन्नों पर ,
उकेरे हुए,
त्रसित चेहरों के  ' अक्षर ' ?
कौन समेटेगा
जनमानस की आँखों में उठती ,
वितृष्णा और क्रोध की लहर ?
आखिर कौन ?
कौन ? कौन ? कौन ?

  (  नोट : - कोलकाता से प्रकाशित मासिक पत्रिका  " वागर्थ " दिसम्बर 2916 में यह कविता प्रकाशित हुई है  )

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