फ़रिश्तों तुम जरा ठहरो ,
मेरा कुछ काम बांकी है.…
जरा उनसे तो कर लूँ प्यार ,
मेरा कुछ काम बांकी है.....
होंगी हूर औ परियाँ ,
मुझे मालूम ज़न्नत में ,
यहाँ है सामने मेरे वो
जीनत प्यार तो कर लूँ ....
है जाना छोड़ कर दुनियाँ
मुकम्मल है पता मुझको ,
मगर यह दुनियाँ भी मेरी ,
किसी ज़न्नत से कम न है ,
जरा मैं अपनी ज़न्नत को ,
नजर भर प्यार तो कर लूँ .....
फ़रिश्तों तुम जरा ठहरो …
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