सब कहते हैं तिनका-तिनका जोड़-जोड़ घर बनता है ,
मैं कहता हूँ प्यार-प्यार को जोड़-जोड़ घर बनता है।
प्यार नहीं तो शीशमहल भी तिनके जैसा लगता है ,
जहाँ प्यार है , रूखा भोजन भी अमृत सा लगता है।
प्यार ही है जो काँटों पर भी फूल सदा मुस्काता है ,
प्यार नहीं हो जीवन में तो जीना दूभर लगता है।
प्यार प्रकृति है ,प्यार ही ईश्वर ,प्यार का ही सब नाता है ,
प्रेम सने रस पागल बादल , नभ से जल बरसाता है।
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