नागफनी उग आया है
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रिश्तों के समीकरण ,
देखता हूँ अब इनका भी
हो गया है भौतिकिकरण।
खो गई है लावण्यता ,
यह सच है कि फूल कोई
असमय ही कुम्हलाया है
"रिश्तों का अनुबंध"
अर्थ " पर टिक गया है,
" अर्थ " बिना हर रिश्ता ,
अर्थहीन हो गया है।
गैर से दीखते हैं ,अब ,
सब ,अपने भी पराये,
लगता है रिश्तों में ,
नागफ़नी उग आया है।
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