Tuesday, June 17, 2014

पागल


जाड़े की एक रात
एक पागल , फटेहाल
घूमता रहा रात भर
सड़क पर ,
शायद वह भूखा था,
वह एक होटल के सामने रुका ,
फिर दूसरे ,
फिर तीसरे ,

अंदर होटल में लोग
नोच - नोच कर बोटियाँ खा रहेथे
और वह बाहर खड़ा
एक रोटी को तरसता  रहा ..........
किसी ने उसे तवज्जो नहीं दी ,
लोगों ने उसे  दुत्कार दिया  -
कहा -पागल है।
वह चल पड़ा ,
एक आवारा कुत्ता
उस पर भौंका ,
पागल चलता रहा ,
कुत्ते ने पागल को पास से सूंघा
फिर वह
पागल के साथ - साथ चल दिया ,
पागल ने कुत्ते को देखा
कुत्ते ने पागल को ,
जहां-जहां पागल गया
वहाँ-वहाँ कुत्ता गया .........
पागल एक कूड़े के ढेर  के पास रुका
कुत्ता भी रुक गया ,
दोनो, फिर कूड़े के ढेर  में
कुछ ढूंढने लगे ...........
अल सुबह
लोगों ने देखा
वह पागल कूड़े के ढेर  के पास
मृत पड़ा है
और
एक कुत्ता
उसके मृत शरीर से सट कर
उदास बैठा है .........

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