इक साँवली सी लड़की
इक सुंदर सी लड़की
कहीं मेरे दिल के कोने में बैठी ,
कभी मुस्कुराती कभी खिलखिलाती
कहीं मेरे दिल के ..................
कभी मन के झूले पर पेंगे लगाती
कभी आँखों से ही इशारा वह करती
नहीं कुछ भी कह कर
बहुत कुछ है कहती ,
कहीं मेरे दिल के ..................
है निश्छल सा मन , उसका भोला वदन है
उसकी हँसी से ये सारा चमन है
कभी तो मचलती कभी रूठ जाती
नहीं कोई शिकवा कभी वह है करती
कहीं मेरे दिल के .................
कभी दूर जब वह चली जाती मुझसे
मेरा दिल अलग कर के ले जाती मुझसे
बड़े प्यार से मैंने उसको सँभाला
कर के यतन गोद में मैंने पाला
बहुत लाडली है , यह मेरी है बेटी
कही मेरे दिल के ....................
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