चलो उठो नई राह बनाओ
,बैठ के यूँ न समय गंवाओं ,
जो बीता
उसे याद न लाओ ,
राम रहीम की
बात न सोचो ,
काम ही काम की
बात को सोचो ,
नए नए
आयाम बनाओ ,
चलो उठो
नई राह बनाओ ।
बाधाओं से
मत घबराओ ,
संम्बल को
पतवार बनाओ ,
बीच भंवर
कश्ती फँस जाती ,
लहरें मौत का
भय दिखलातीं ,
नहीं मांझी
हिम्मत को हारे ,
ले आये
कश्ती को किनारे ।
नहीं कभी ,
जो हार मानता ,
झंझाओं से
हाथ मिलाता ,
साहस के बल
भाग्य बदलता ,
जग उसकी
जय गीत है गाता।
दिल में
इक तूफान जगाओ,
मन में
इक संकल्प बिठाओ ,
चलो उठो ,
नई राह बनाओ ।
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