बहुत नाजुक होते हैं , बच्चे ,
गुलाब की पंखुड़ियों से भी ज्यादा ,
जरा सी गरम हवा चली नहीं , कि ,
मुरझा जाते हैं , या ,
फिर बिखर जाते हैं बच्चे।
जरा , इन्हें , प्यार से पुकारो तो !
सीने से लग जाते हैं बच्चे ,
उड़ेल देते हैं
अपना सारा प्यार ,
बिना भेद - भाव ,
ऊँच - नीच को नहीं जानते ,
जात - पात को नहीं जानते ,
जानते हैं -
बस , केवल प्यार।
इन्हें प्यार से सींचों ,
खिलने दो इन्हें ,
रचने दो इन्हें
अपना एक नया संसार ,
उड़ने दो इन्हें ,
तितलियों के संग ,
तितलियों की तरह।
सुन्दर फूल हैं
बिल्कुल ,
डैफोडिल्स ( Daffodils ) की तरह ,
बहुत नाजुक होते हैं बच्चे
गुलाब की पंखुड़ियों से से भी ज्यादा ......
Thursday, September 14, 2023
बहुत नाजुक होते हैं , बच्चे
Wednesday, April 12, 2023
गुलदारों की बस्ती
इन्सानों की बस्ती में ,
गुलदार घुस आया ,
कुछ को उसने ,
गुलदार बनाया ,
कुछ को निवाला ,
फिर क्या था था !
देखते - देखते ,
इन्सानों की बस्ती ,
गुलदारों की बस्ती बन गई ,
Saturday, February 18, 2023
रे वसंत ! तुम ऐसे आना आना
रे वसंत ! तुम ऐसे आना आना ,
हर घर - आँगन फूल खिलें ,
आम्र - कुञ्ज कोयलिया कुहके ,
वन -उपवन भी खूब खिलें ।
शीतल शीतल मंद बयार बहे नित ,
खग - खञ्जन उन्मुक्त उड़ें ,
पपिहा टेर लगाए , वन - वन ,
टेसू - बुराँस हर ओर खिलें।
सुरभित हो गमके दिग - दिगंत ,
चहके - बहके मरुत चले ,
भ्रमर करे गुँजन कलियों पर ,
हर दिल में नव प्यार पलें।
शुष्क ह्रदय के आँगन में भी ,
मानवता के फूल खिलें ,
भूल गये जो मानवता को ,
उनके दिल नवजोत जले।
छोटा सा है जीवन अपना ,
फिर पतझर आ जाना है ,
कटुता छोड़ें , नफ़रत भूलें ,
आओ हम सब गले मिलें।
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