कभी बच्चे के स्कूल से
आने का बाट जोहती है माँ ,
उसके आने के समय से पहले ,
दरवाजे पर खड़ी दिखती है माँ ।
फिर , उसकी नौकरी का
इंतजार करती है माँ ,
और ,
जब नौकरी मिल जाती है -
बच्चे चले जाते हैं
दूसरे शहर , देश ।
माँ फिर तकती है राह ,
जोहती है बाट ,
उसके आने की ।
इसी क्रम में ,
पथरा जाती हैं उसकी आँखें ।
और अब वह ,
' दिल ' से जोहती है बाट ।
------- मंजु सिन्हा
आने का बाट जोहती है माँ ,
उसके आने के समय से पहले ,
दरवाजे पर खड़ी दिखती है माँ ।
फिर , उसकी नौकरी का
इंतजार करती है माँ ,
और ,
जब नौकरी मिल जाती है -
बच्चे चले जाते हैं
दूसरे शहर , देश ।
माँ फिर तकती है राह ,
जोहती है बाट ,
उसके आने की ।
इसी क्रम में ,
पथरा जाती हैं उसकी आँखें ।
और अब वह ,
' दिल ' से जोहती है बाट ।
------- मंजु सिन्हा
No comments:
Post a Comment